नई दिल्ली. कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर गुरुवार 10 जून को जीआरपी और आरपीएफ ने फर्जी टीटीई गैंग का खुलासा किया. यह गैंग टीटीई बनकर यात्रियों से पैसे की वसूलता था. गैंग ने बेरोजगार युवकों को झांसा देकर रेलवे में फर्जी नियुक्ति तक करा दी थी इसके लिए प्रति युवक पांच से 15 लाख तक रुपये वसूले गये थे. जीआरपी ने ठगी के शिकार युवकों की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो धीरे-धीरे सब सामने आ गया. रेल पुलिस ने फर्जी नियुक्ति करने वाले गिरोह के 3 सदस्यों को भी गिरफ्तारी कर लिया है. तीनों को जेल भेजने के साथ ठगी के शिकार फर्जी टीटीई को छोड़ दिया गया. जांच में उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं मिले.
इस गिरोह ने 16 युवकों को नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए ठग लिया था. उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र देकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर तैनात तक कर दिया गया. ये लोग बिना टिकट आने-जाने वाले यात्रियों से वसूली कर रहे थे. ऐसे सभी 16 लोगों को पकड़ा गया तो उनके पास से फर्जी आई कार्ड और नियुक्ति पत्र भी मिले. पहले जांच में स्टेशन पर जांच कर रहा रतनपुर निवासी दिनेश कुमार पकड़ा गया. उसके पास भी टीटीई का फर्जी आईकार्ड था. उससे पूछताछ में पता चला कि स्टेशन पर और 15 टीटीई उसी तरह नियुक्त हैं और जांच कर रहे हैं. इसके बाद रेल पुलिस ने जाल बिछाकर सभी को पकड़ा.
जीआरपी थाना प्रभारी कीर्ति प्रकाश कनौजिया के अनुसार कानपुर का रहने वाला रुद्र प्रताप ठाकुर उर्फ दिनेश सिंह ठगी में मास्टर माइंड हैं. जांच में उसके दो साथी पी-रोड निवासी पवन कुमार गुप्ता और रेल बाजार फेथफुलगंज निवासी शिव नारायण को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. तीनों ने मिलकर फर्जी नियुक्तियां की थी. सबसे मजे की बात यह रही कि कई दिनों से फर्जी टीटीई स्टेशन पर यात्रियों की जांच करते रहे और रेलवे अधिकारियों को इसका पता तक नहीं चला.
पूछताछ में सामने आया कि शातिरों ने पकड़े गए फर्जी रेलवे कर्मचारियों को पांच से 15 लाख रुपए देकर स्टेशन पर नियुक्तियां की थीं. इसके चलते रेलवे का फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर नौकरी करने वाले पकड़े गए 15 युवकों को छोड़ दिया गया है. इसके साथ ही गैंग से जुड़े अन्य जालसाजों की तलाश की जा रही है.